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Friday, December 23, 2016

Movie review Dangal : ये फिल्म 'धाकड़' है!

 

फिल्म : दंगल
कास्ट: आमिर खान, फातिमा सना शेख , सान्या मेहरोत्रा, ज़ायरा, सुहानी, साक्षी तंवर और अपार्शक्ति खुराना
डायरेक्टर : नितेश तिवारी
रेटिंग : ****१/२

कथा, पटकथा और निर्देशन
ये कहानी अब तक सब को पता है, पर जिस तरह से इस फिल्म को लिखा गया है, वो इस कहानी के हर पहलु को छूती है, ये कहानी महावीर और उसकी बेटियों के बीच के द्वन्द को भी उतनी ही शानदार तरीके से दर्शाती जिस तरह से इस फिल्म के असल मुद्दे को जो है, की बेटियों और बेटों के बीच अंतर रखने वाला समाज अब जान ले की ईश्वर भी बेटी को खुद से ऊँचा दर्जा देता है। हरयाना की धरती पर कन्याभ्रूणहत्या के इलज़ाम अरसे से लगते चले आ रहे हैं, ये कहानी ये भी बताती है, समाज को बदलने की मुहीम, महावीर जैसे इंसानों से ही होती है, हो मिसाल देकर समाज को आइना दिखाते हैं।फ्रेम दर फ्रेम ये फिल्म आपको मनोरंजन भी देती है, साथ ही आपको सीख भी देती है। फिल्म एक मिनट भी आपको बोर नहीं करती, इसके अलावा ये भारत की स्पोर्ट्स पॉलिटिक्स की पर भी प्रहार करती है। इसका पूरा क्रेडिट इसके चार राइटर (नितेश तिवारी, पियूष गुप्ता, श्रेयस जैन और निखिल मेहरोत्रा) जाता है, जिन्होंने मिलकर एक शानदार कहानी को जानदार पटकथा दी है। निर्देशन के हिसाब से भी इस फिल्म में नुख्स निकालना भूसे में सुई ढूँढना जितना मुश्किल है। बिना मसाले, बिना आइटम नंबर और बिना गंदे भद्दे जोक्स के ये फिल्म आपको सीट से अंत तक बाँध के रखती है। नितीश को इस के लिए बधाइयां। सेकंड हाफ थोडा धीमा होता है पर एंड आते आते सब वापस धाकड़ हो जाता है।फिल्म का आर्ट डिपार्टमेंट और कॉस्टयूम डिपार्टमेंट भी काबिलेतारीफ है। कहीं कहीं भाषा थोड़ी कठिन हैं, पर ओवरआल डाइलोग टू द पॉइंट हैं।

अदाकारी
सबसे पहले बात होनी चाहिए इस फिल्म की असली स्टार्स की, वो चार धाकड़ लडकियां जिन्होंने अपने किरदारों में जान दाल दी है। एक तरफ हैं ज़ायरा और सुहानी जो की छोटी गीता और बबिता के रोल में आपको हंसाती है, और खूब एंटरटेन करती हैं। दूसरी तरफ हैं, फातिमा सना शेख (गीता) और सान्या (बबिता) जिन्होंने अपने अपने किरदारों में जान डाल दी है। सालों से ऑडिशन में रिजेक्शन झेलने के बाद सना के दंगल से ये साबित कर दिया की अगर इंसान चाहे तो बस अपनी मेहनत और निश्चय से क्या कुछ नहीं कर सकता। सान्या भी इस साल के सबसे शानदार सपोर्टिंग एक्ट्स में से एक हैं। आमिर की तारीफ़ करना तो रूटीन सा काम है, ऐसा कभी नहीं होता की आमिर किसी स्स्तर पर अपने रोल में कोई चूक कर जाएँ। वो इस फिल्म की भी जान हैं, ये फिल्म आमिर की ज़िन्दगी का अब तक का सर्वश्रेष्ट परफॉरमेंस है। अपार्शक्ति खुराना और साक्षी तंवर भी अपने अपने रोल में खूब जांचे हैं। ओवरआल कास्टिंग बेहद सटीक है।

संगीत
इस फिल्म के सभी गीत इस फिल्म में फिट होते हैं। हानिकारक बापू, गिलहरियाँ और फिल्म के टाइटल ट्रैक का प्लेसमेंट बेहद शानदार है। ये तीनों गीत फिल्म के बाद भी आपके ज़हन में गूंजते रहता हैं। प्रीतम को इसके लिए फुल मार्क्स। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी लाजवाब है,

ज्यादा ठण्ड लग रही हो तो गर्म कपडे पेहन लीजिये, अगर आप हानिकारक बापू मोदी द्वारा की गई नोटबंदी से परेशान हैं और कैश नहीं हैं तो टिकेट ऑनलाइन बुक कर लीजिये, या बैंक में जाकर लाइन लगाइए, पर इस साल की सबसे शानदार फिल्म को ऐसी किसी छोटी वजह से बिलकुल मिस मत कीजिये। ये इस साल की सबसे शानदार और जानदार फिल्म है जो आपको ज़रूर पसंद आएगी। ये फिल्म धाकड़ है।

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