काेरबा शहर के बालगी इलाके में पुश्तैनी किराना दुकान चलाने वाले विकास अग्रवाल ने मेहनत के दम पर ऊंची उड़ान भरी है। 6वीं कक्षा से किराना दुकान में लोगों को सामान बेचते हुए खाली समय में सेल्फ स्टडी करने वाले विकास ने साइंटिस्ट बनने का सपना देखा था। लगातार कड़ी मेहनत के दम पर पिछले साल वो सपने को हकीकत में बदलने में कामयाब रहे। अब वे इसरो में साइंटिस्ट हैं। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने बुधवार को एक साथ 104 उपग्रह लॉन्च कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। पीएसएलवी 37 के तहत यह उपग्रह लॉन्च किए गए। देश की साख बढ़ाने वाले इस मिशन में प्रदेश के 26 साल के यंग साइंटिस्ट विकास अग्रवाल का भी कॉन्ट्रीब्यूशन रहा है। विकास इन दिनों इसरो के त्रिवेंद्रम सेंटर में हैं।
इसरो ने अपनी धमक और मजबूत कर ली
-विकास ने बताया कि सभी उपग्रहों को लेकर पीएसएलवी 37 ने श्री हरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से उड़ान भरी।
-इसके करीब 17 मिनट बाद रिमोट-सेंसिंग कार्टोसेट-2 को कक्षा में स्थापित कर दिया गया।
-इसरो ने करीब 28 मिनट के अंदर सभी 104 सैटेलाइट को अपनी-अपनी कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।
-इसी के साथ वर्ल्ड स्पेस साइंस में इसरो ने अपनी धमक और मजबूत कर ली।
ऐसे पहुंचे इसरो तक
-दुकान में मिलने वाले खाली समय के अलावा विकास रोज देर रात तक पढ़ाई करते। नतीजतन, 12वीं में 89 परसेंट लाने में कामयाब रहे।
-दुकान में मिलने वाले खाली समय के अलावा विकास रोज देर रात तक पढ़ाई करते। नतीजतन, 12वीं में 89 परसेंट लाने में कामयाब रहे।
-इसी दौरान उन्होंने ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग यानी गेट दिया। देशभर में 1600 रैंक आई, लेकिन घरवालों ने दूर रहकर पढ़ने की अनुमति नहीं दी।
-घरवालों से कुछ भी शेयर किए बिना विकास साइंटिस्ट बनने की तैयारियों में जुटे रहे। इसरो के एग्जाम के बारे में पता चला और भर दिया फॉर्म।
-साल 2014 में इसरो का टेस्ट दिया, मगर कामयाबी नहीं मिली। निराश होने के बजाय खामियां सुधारकर दोगुने जोश से तैयारी की और साल 2015 में फिर एग्जाम दिया।
-अक्टूबर 2015 में हुए रिटन एग्जाम में देशभर से शामिल दो लाख युवाओं में विकास ने ऑल इंडिया टॉप -5 रैंक हासिल की।
-साइंटिस्ट की इस पोस्ट के लिए विकास सहित 300 लोगों को फरवरी 2016 में इंटरव्यू के लिए बुलाया गया, जिसमें विकास चुन लिए गए।
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