जिन वस्तुओं पर टैक्स लगने जा रहा है उनमें तंबाकू उत्पादों से लेकर के कोक-पेप्सी जैसे कोल्ड ड्रिंक शामिल हैं। तंबाकू उत्पादों पर 290 फीसदी, जबकि कोका कोला-पेप्सी जैसे एयरेटेड ड्रिंक पर 15 फीसदी तक का सेस लगाएगी।
ई-कामर्स कंपनियां जीएसटी के दायरे में आएंगी। पान मसाला पर अधिकतम 135 फीसदी और सिगरेट पर 4175 रुपये प्रति एक हजार या 290 रुपये एड वोलेरम सेस लगाया जाएगा। हालांकि एड वोलेरम सेस लगाने पर यह ध्यान रखा जाएगा कि प्रति एक हजार स्टिक पर सेस 4175 रुपये से ज्यादा नहीं बने।
कोयला एवं इसके कुछ अन्य अवयब पर प्रति टन 400 रुपये का सेस लगेगा। एयरेटेड ड्रिंक, स्टेशन वैगन और रेसिंग कार समेत मोटर कार तथा कुछ अन्य उत्पादों पर 15 फीसदी की दर से सेस लगेगा। लेकिन 10 से अधिक सवारी ले जाने वाले वाहनों, बसों, मिनी बसों पर लक्जरी कारों की तरह कोई सेस नहीं लगेगा।
मुआवजा कोष की बची राशि राज्यों में भी बंटेगी
मुआवजा विधेयक के मुताबिक पांच साल की समाप्ति पर मुआवजा कोष की बची राशि केंद्र और राज्यों के बीच बराबर बांटी जाएगी। राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से हर दो महीने में मुआवजा मिलता रहेगा।
आपात स्थिति में अधिकतम 40 फीसदी जीएसटी हो सकती है
जीएसटी की दर 5, 12, 18 और 28 फीसदी रखने का सहमति बनी है, लेकिन विधेयक में कहा गया है कि वित्तीय आपात स्थिति में यह अधिकतम 40 फीसदी भी हो सकती है। इसमें सेंट्रल और स्टेट जीएसटी बीस-बीस फीसदी होगा।
शॉपिंग वाउचर को भुनाते समय कर
विधेयक में पहले यह प्रावधान था कि कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को दिए जाने वाले शॉपिंग वाउचर (मील पास) पर इन्हें लेते समय कर लगेगा, लेकिन इसमें बदलाव किया गया है। अब प्रावधान किया गया है कि इन्हें भुनाते समय कर लगेगा। ट्रांजेक्शन छुपाने या कर चोरी करने पर गिरफ्तारी हो सकती है। दोषी व्यक्ति पर जुर्माने और अधिकतम पांच साल के जेल का प्रावधान भी है।
छोटे कारोबारियों को राहत
छोटे कारोबारियों को राहत देने की बात कही गई है। 50 लाख रुपये तक के सालाना कारोबार को कुल कारोबार का महज एक फीसदी ही कर देना होगा। हालांकि आपूर्तिकर्ताओं के लिए यह कर 2.5 फीसदी होगा।
मुनाफाखोरी पर लगाम
किसी वस्तु पर कम कर लगेगा, तो फायदा ग्राहकों को मिलेगा। यदि कारोबारी यह फायदा ग्राहकों को नहीं देते हैं तो उन पर कार्रवाई होगी। ऐसे कारोबारियों पर नजर रखने के लिए एक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर को पारित करने होंगे विशेष कानून
संसद के पास जम्मू-कश्मीर के केवल रक्षा, विदेशी मामलों और संचार से जुड़े मुद्दों के लिए कानून बनाने की शक्ति है। इसलिए लोकसभा से सीजीएसटी व आईजीएसटी विधेयक पारित हो जाने पर जम्मू-कश्मीर असेंबली को इन कानूनों को लागू करने के लिए विशेष कानून पारित करना होगा।
संसद के पास जम्मू-कश्मीर के केवल रक्षा, विदेशी मामलों और संचार से जुड़े मुद्दों के लिए कानून बनाने की शक्ति है। इसलिए लोकसभा से सीजीएसटी व आईजीएसटी विधेयक पारित हो जाने पर जम्मू-कश्मीर असेंबली को इन कानूनों को लागू करने के लिए विशेष कानून पारित करना होगा।
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