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Sunday, June 3, 2018

मनचाही दुल्हन चाहिए तो रोज करें. हर मनोकामना पूरी हो सकती है।

धर्म ग्रंथों के अनुसार, देवी दुर्गा की पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी हो सकती है। लेकिन दुर्गासप्तशती का स्थान महत्वपूर्ण है। जो व्यक्ति विधि-विधान से दुर्गासप्तशती का पाठ करता है, उसके बुरे दिन दूर हो जाते हैं और हर मनोकामना पूरी हो सकती है।

दुर्गासप्तशती में ऐसे अनेक मंत्र हैं, जिनका जाप करने से आपकी मनोकामना पूरी हो सकती है। अगर आप सुंदर और सुशील पत्नी चाहते हैं तो इसके लिए भी दुर्गासप्तशती में 1 मंत्र बताया गया है। रोज इस मंत्र का जाप करने से आपकी ये इच्छा पूरी हो सकती है। ये मंत्र और इसके जाप की विधि इस प्रकार है...

मंत्र
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्।


तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥



अर्थ- हे देवी, मुझे मन की इच्छा के अनुसार चलने वाली मनोहर पत्‍‌नी प्रदान करो, जो दुर्गम संसार सागर से तारने वाली तथा उत्तम कुल में उत्पन्न हुई हो।



  1. सुबह जल्दी नहाकर, साफ वस्त्र पहनकर देवी दुर्गा की पूजा करें।

  2. देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला लेकर इस मंत्र का जाप करें। प्रतिदिन पांच माला जाप करने से आपकी इच्छा पूरी हो सकती है।

  3. आसन कुश का हो तो अच्छा रहता है।

  4. रोज एक ही समय पर, एक ही आसन पर बैठकर और एक ही माला से मंत्र जाप किया जाए तो यह मंत्र जल्दी ही सिद्ध हो सकता है।

Friday, March 30, 2018

हनुमान जयंती 2018 :Details About Timings For Puja, 'Muhurat' Here

अष्टसिद्धि और नौ निधियों के प्रदाता हनुमान जी का जन्मोत्सव शनिवार को है। नौ साल बाद शनिवार के दिन हनुमान जयंती पड़ रही है। इसके साथ ही ज्योतिषी हिसाब से कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। काफी समय बाद मार्च के माह में ही हनुमान जयंती पड़ रही है। चूंकि इस नवसंवत्सर के राजा सूर्य और मंत्री शनि हैं, इसलिए भी हनुमान जयंती खास है। ग्रहों की पीड़ा शांत करने का विशेष अवसर है।

प्रात: 4 बजे हुआ था हनुमान जी का जन्म

हनुमान जयंती- चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त यानी प्रात: 4 बजे अंजनी के गर्भ से हनुमान जी का जन्म हुआ था। इनके पिता हैं वानरराज केसरी। इसलिए, इनको केसरीनंदन भी कहते हैं। रामभक्त के रूप में हनुमानजी को तो सभी जानते हैं। लेकिन उनकी अन्य भी विशेषताएं हैं।  वह समस्त वेदों के ज्ञाता, नाना पुराण आख्याता, ज्योतिषी, संगीतज्ञ, वानरराज, यंत्र-मंत्र और तँत्र के सिद्धहस्त होने के साथ-साथ संकटमोचन भी हैं। अकेले उनको ही यह वरदान प्राप्त है कि वह समस्त संकट हर सकते हैं। सर्व कार्य सिद्ध कर सकते हैं। वह सूर्य के शिष्य हैं। सूर्य भगवान का जप-तप-ध्यान करने से ही उनको असाधारण सिद्धियां और निधियां प्राप्त हुईं। अणिमा,( आकार बढ़ा सकते हैं) लघिमा ( आकार छोटा कर सकते हैं) गरिमा ( भारी कर सकते हैं), प्राप्ति ( कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं), प्राकाम्य ( सर्व प्रदाता), महिमा( यश-कीर्ति), ईशित्व (ईशरत्व) और  वशित्व( वशीकरण)  का अधिकार केवल हनुमानजी को ही प्राप्त है। तभी उनको कहा गया-अष्ट सिद्धि-नौ निधियों के दाता।

शनि महाराज से भले ही सब कांपते हों लेकिन शनि हनुमान जी से डरते हैं। शनि महाराज को अपनी पूंछ में बांधकर हनुमान जी ने उनको रामसेतू की परिक्रमा करा दी थी। शनि घायल हो गए थे।  अपनी पीड़ा को शांत करने के लिए शनि महाराज ने अपने शरीर पर सरसो का तेल लगाया था। इसलिए, शनि महाराज को सरसो का तेल चढ़ाया जाता है। हनुमान जी ने उनको इस शर्त परछोड़ा कि तुम मेरे भक्तों को कष्ट नहीं दोगे। इस बार शनिवार को हनुमान जयंती होने से शनि शांति का अवसर मिल रहा है।

 

पूर्णिमा तिथि शुरू: 30 मार्च 2018 शाम 7 बजकर 35 मिनट 30 सेकेंड से 31 मार्च 2018 शाम 6 बजकर 6 मिनट 40 सेकेंड तक रहेगी। शुभ मुहूर्त प्रातः 9:20 से 1:30 तक तथा सांय 3:00 से 6 बजे तक रहेगा। ग्रहों की शांति के लिए सायंकाल का पूजन श्रेष्ठ रहेगा। हनुमान जी की गुरु के रूप में पूजा का समय 9.20 से है।

कैसे करें पूजा
-हनुमान जी को चोला चढ़ाएं ( चोले में  16आइटम होते हैं- चोला या वस्त्र, धूप, दीप, अगरबत्ती, पान, नारियल, पंच मेवा, सिंदूर, चमेली का तेल, चांदी के बर्क, बेसन के लड्डू या बूंदी, जनेऊ, पांच सुपारी, लोंग, फूलमाला और फल)
-शनि शांति के लिए सरसो के तेल का दीपक जलाएं। सिंदूर चढ़ाएं
-पीपल के 108 पत्तों पर रामनाम लिखकर हनुमानजी को अर्पित करें। इससे पितृदोष निवारण होगा।
-कार्य सिद्धि के लिए ऊं श्री हनुमते नम:  या ऊं हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट का 108 बार जाप करें
- सर्व कार्य सिद्धि के लिए 11 या 21 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें
-समस्त ग्रह पीड़ा शांति के लिए ऊं ह्रां ह्रीं ह्रूं सर्वदुष्ट ग्रह निवारणाय स्वाहा का जाप करें
-शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करें। संपूर्ण न कर सकें तो केवल मंगलाचरण ही कर लें। सुंदरकांड की पांचवीं चौपाई पढ़ें।
-समस्त प्रकार की रक्षा के लिए हनुमान कवच का पाठ करें
-व्याधियों से मुक्ति के लिए हनुमान बाहुक और अन्य संकट निवारण के लिए तीन बार बजरंगबाण पढ़ें